कई सवाल थे जो वो पूछना चाहती थी तुमसे
पर पूछ नहीं पायी
कुछ सवाल उसने मुझसे पूछे तुम्हारे बारे में
वो जानना चाहती थी बहुत कुछ
पर जान न पायी कुछ भी
वो सवालों में खोई, ख्यालों में डूबी
डूबती चली गयी और मै उसे बचा न पायी
न ही उसे बता पायी उन सवालों के उत्तर, जिनका बोझ
वह मेरे कंधे पर लाद कर निकल गयी
बस मुझे वह सवाल तुम्हारे हवाले करने हैं
उत्तर दो या यूं ही अपने पास रख लो
सवालों की उस गठरी से मुझे मुक्ति दे दो।।।
I started this blog for my Art Installation by the same name, that was part of the prestigious Kala Ghoda Arts Festival 2013. The poems too were part of it. Even now atrocities on women have not stopped and every such news stirs and churns me out. The broken doll house keeps on filling up with words of cries, pain and helplessness. This blog is a part of that Broken Doll House which houses all those frustrations and anger...in my words..
Monday, 27 June 2016
सवाल
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