Friday 2 September 2016

किताब की तरह

कब तक खुली रहूँ मैं किताब की तरह
कब तक तुम मुझे पढ़ने का नाटक करते रहो 
शायद मैं तुम्हारा मजमून ही नहीं
इतिहास नहीं वर्तमान भी नहीं
मेरे वर्क रंगीन और चमकदार नहीं
मैं तड़क भड़क उतेजक कहानियों से भरी नहीं
इस लिए मैं तुम्हारी आवारगी का सामान नहीं
कोई बात नहीं.....
अभी तुम अपने सस्ते रिसालों से दिल बहलाओ
क्योंकि मुझे पढ़ पाने का हुनर अभी तुम में नहीं
खैर जब कभी वो वक़्त आये तो आना
तब किताबों की अलमारी में से सबसे ऊपर
मुझे उठा लेना हाथ बढ़ा कर 

मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगी।।।

.... मृदुल

I met this young lady who had so much pain to share about her mother. Why do women take so much pain endlessly? 

बड़े घर की वो

वो अन्धेरे में रहती है क्योंकि
दिन के उजाले की किसी किरण को
अंदर जाने की आज़ादी नहीं और 
वो एक लम्बी काली रात में
ख़यालों की दुनिया में कई पहाड़ों से गिरती है
दर्द के दरिया में तैरती है और थक कर सो जाती है।
अब उसकी दुनिया में सूरज उगता ही नहीं
गहरे भारी परदों से ढकी खिड़कियाँ
बरसों से खुली ही नहीं।
वो बहुत देर तक सोती है पर थकी ही हुई जागती है
उसकी आवाज़ जम सी गयी है
उसका हलक सूख गया है
अब वो अपने आप से भी बात नहीं कर पाती।
बड़े घर की वो बड़ी बेटी
छोटे से कमरे में क़ैद है।।।।।
..... मृदुल 
Based on the true life of an unfortunate daughter who was gang raped in her school but her well known family hushed the matter and now she has lost her mental balance. The real name and identity is protected on ethical grounds. 

Monday 27 June 2016

सवाल

कई सवाल थे जो वो पूछना चाहती थी तुमसे
पर पूछ नहीं पायी
कुछ सवाल उसने मुझसे पूछे तुम्हारे बारे में
वो जानना चाहती थी बहुत कुछ
पर जान न पायी कुछ भी
वो सवालों में खोई, ख्यालों में डूबी
डूबती चली गयी और मै उसे बचा न पायी
न ही उसे बता पायी उन सवालों के उत्तर, जिनका बोझ
वह मेरे कंधे पर लाद कर निकल गयी
बस मुझे वह सवाल तुम्हारे हवाले करने हैं
उत्तर दो या यूं ही अपने पास रख लो
सवालों की उस गठरी से मुझे मुक्ति दे दो।।।