Saturday 9 February 2013

Pervert

My NO is NO
its not on..

None of my dresses 
can hide my body,
none at all 
because your pervert gaze
sees through them all

I don't feel secure
because you are so insecure,
Your insecurities 
become your weapon 
to assault me
to violate my body 
like a territory.

You desperately
display your power
over my body...
because you have failed
in everything else you do.

You have no mind 
no control
In fact, you have nothing
nothing at all...
no mind, no heart, no soul.

Mridual @writingdoll

एक लडकी की तरह???

"क्या एक लडकी की तरह रोता है?"
सिर्फ़ इन 'शब्दों' मात्र से ही 
एक लड़के का अपमान होता है।

जैसे रो देना हो एक गन्दी बात,
अौर लड़की होना उससे भी शर्मनाक

इसी क्षण  में…….
उसके मन में…..
यह घटिया सोच जन्म,लेती है 
जो किसी भी अौरत के अपमान का,
अंकुर बो देती है।

मृदुल 

The Developed Negatives

Positive I was
but the negatives of the past
with unrecognizable faces
haunted me
for many nights

Every day 
was well spent
amongst small children
I was teaching them
laughing with them.
In the sleepless dark nights
I was alone
I was panicky..

At fifty-five 
a healer helped,
He developed, 
the images from those negatives

The unrecognizable was 
recognized
my painful years 
summarized

Yes, I loved him
and so he did
or so I believed
I recognized him
who made my life sad
...the tormentor in the negatives
was indeed my dad!

Mridual

*Based on the real life incident narrated by the first woman visitor to the 'BROKEN DOLLHOUSE'.

अच्छी बच्ची

माँ, मैं अच्छी बच्ची हूँ, हैं ना माँ?
तुम्हारा कहना मानती हूँ,
तुमने कहा, अजनबियों से बात मत करना,
मैं बिल्कुल नहीं करती,
माँ, मैं अच्छी बच्ची हूँ, हैं ना माँ?
तुम्हारा कहना मानती हूँ,
तुमने कहा अंधेरे मे बाहर मत जाअो,
मै सूरज ढलने के बाद बाहर नहीं जाती।
माँ, मैं अच्छी बच्ची हूँ, हैं ना माँ?
तुम्हारा कहना मानती हूँ,
तुमने कहा कपड़े ठीक से पहनो,
मैंने कभी भी ऊल-जलूल कपड़े नहीं पहने।
माँ, मैं अच्छी बच्ची हूँ, हैं ना माँ?
तुम्हारा कहना मानती हूँ,
तुमने कहा अच्छे बच्चे बड़ों की बात मानते हैं,
मैने पापा की बात मानी,
पर इस बार ऐसा क्यों लगा
कि अब मैं अच्छी बच्ची नहीं हूँ।

-मृदुल

बहन

मैं एक भाई हूँ,
मेरी एक बहन है।
पर सड़क पर चलने वाली,
दूसरों की बहनें
मेरी बहनें नहीं...
मैं उनको छेड़ सकता हूँ,
मेरे दोस्त भी उन्हें छेड़ सकतें हैं,
कोई भी उन्हे छेड़ सकता है
मुझे इससे कोई फर्क नहीं पडता

मैं ऐसा ही सोचता था......
अौर शायद सोचता रहता
पर उस रात
मेरी बहन को
जो उनकी बहन नहीं थी
उन्होने नोच डाला
छेड़ा, सताया अौर खरोंच डाला,
तोड़ा, मरोड़ा, खिलवाड़ किया
फेंक सड़क के पार दिया
मुझ जैसे कई ऐसे
ठीक मेरी तरह सोचने वाले
उसको सड़क पर देख कर चले गये.....
कुछ को दया आई, कुछ को हया
पर हाथ बढा कर मदद करने की समझ न आई।
कोई क्यों समझता,
क्योंकि वह मेरी बहन थी,
मैं भी तो अभी समझा हूँ कि
किसी अौर ने उसे क्यों नहीं बचाया?

क्योंकि वह सिर्फ मेरी बहन थी।

-मृदुल

Friday 8 February 2013

बेटी

ट्रेन के कम्पार्टमेन्ट में,
पुराने कपडों में लिपटी,
नई जन्मी एक नन्ही सी जान,
बिना नाम, बिना पहचान,
मैंने ही छोडी थी।

कन्खियों से एक भली अौरत को उसे उठाते हुये देखा था,
उसकी भोली सूरत पर प्यार अौर तरस खाते हुये देखा था।

बेदर्द, बेरहम, बेशर्म है वो माँ,
जो इस नन्ही सी जान को छोड गई, एक आवाज आई,
कैसे इस मासूम को जन्म देकर छोड गई? एक अौरत चिल्लाई।

इन शब्दों की गूंज से मैं बहुत दूर चली आई हूँ,
पर उस दृश्य उस पल को भूल नहीं पाई हूँ।

आसान नहीं होता ममता की डोर तोडना,
दर्दनाक होता है जिन्दगी से रिश्ता तोडना।

बेदर्दी अौर बेरहमी से तो मैंने उसे बचाया है,
तीन बेटियों के बाद जिसे पाया है,
वो तीन जो जिंदा भी नहीं,
जिन्हे बाप ने जिन्दा दफनाया है।

दुआ है उसे जिन्दगी मिल तो जाए,
किसी अौर के आँगन में ही सही... खिल तो जाए।

-मृदुल

डर के साये

माँ, किसी से न कह सकती हूँ
कुछ ऐसे दर्द जो सहती हूँ....

जब घर से निकलती हूँ
सड़क पर चलती हूँ
कुछ नजरें डरा सी जाती हैं
मानो खा ही जाती हैं

कभी कोई इस तरह से छू जाता है 
कि सब मैला सा हो जाता है
फिर मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता,
किसी से बतियाने का मन नहीं करता

दिन की डरावनी परछायी रात पे छा जाती है
सपनों के भय से नींद नहीं आती है

जिंदगी की रफ्तार को रोकने का मन करता है
माँ तेरे आँचल में छुप जाने का मन करता है

-मृदुल

मेरी गुडिया

बचपन में मेरी गुडिया टूटी,
तो बहुत रुलायी फूटी।
माँ मुझको सहलाई,
फिर एक नई गुडिया दिलाई।
उम्र के पडाव पार करके, 
ससुराल की दहलीज लाँघ आई,
बचपन की गुडिया,
फिर से बहुत याद आई।
छोटे से पैर, प्यारे से हाथ,
गोल गोल आँखें, नन्ही सी नाक,
ऐसी ही गुडिया मैंने भी बनाई,
पर शायद किसी को पसन्द नहीं आई।
वो जगती, सोती अौर रोती भी थी,
वो गुडिया किसी की पोती भी थी।
फिर भी किसी ने उसे पुचकारा नहीं,
गोद में लेकर दुलारा नहीं।
मैंने उसे सीने से लगाया, प्यार किया,
सास ने कहा बेकार किया।
एक काम भी तुमसे होता नहीं,
इसे छोडो यह मेरा पोता नहीं।
तुम्हे तो हमने पहले ही समझाया था,
इसीलिये तो पिछले बार गर्भ गिराया था।
 इस बार इस नन्ही कली की बहार सही,
मैंने अपनी गुडिया को लेकर गुहार करी।
पति ने मुझे झटका,
मेरी गुडिया को पटका।
मेरी गुडिया फिर से टूटी,
मेरी सारी खुशियाँ लुटी।
अौर अब कोई सहलायेगा भी नहीं,
मेरी गुडिया मुझे लौटयेगा भी नहीं। 

-मृदुल

Monday 4 February 2013

Every Girl Has a Story

Some stranger,
some friend,
some relative,
some uncle,
some teacher,
some student,
some driver,
some attendant,
some cop,
some guard,
some brother,
some dad,
did something bad..
every girl has a story
with something sad.

Mridual

बेटी

ट्रेन के कम्पार्टमेन्ट में,
पुराने कपडों में लिपटी,
नई जन्मी एक नन्ही सी जान,
बिना नाम, बिना पहचान,
मैंने ही छोडी थी।

कन्खियों से एक भली अौरत को उसे उठाते हुये देखा था,
उसकी भोली सूरत पर प्यार अौर तरस खाते हुये देखा था।

बेदर्द, बेरहम, बेशर्म है वो माँ,
जो इस नन्ही सी जान को छोड गई, एक आवाज आई,
कैसे इस मासूम को जन्म देकर छोड गई? एक अौरत चिल्लाई।

इन शब्दों की गूंज से मैं बहुत दूर चली आई हूँ,
पर उस दृश्य उस पल को भूल नहीं पाई हूँ।

आसान नहीं होता ममता की डोर तोडना,
दर्दनाक होता है जिन्दगी से रिश्ता तोडना।

बेदर्दी अौर बेरहमी से तो मैंने उसे बचाया है,
तीन बेटियों के बाद जिसे पाया है,
वो तीन जो जिंदा भी नहीं,
जिन्हे बाप ने जिन्दा दफनाया है।

दुआ है उसे जिन्दगी मिल तो जाए,
किसी अौर के आँगन में ही सही... खिल तो जाए।

-मृदुल कालिया भटनागर

दिल्ली की दामिनी

दिलवालों की दिल्ली ने दहला दिया,
एक मासूम को दामिनी कहला दिया।
हर तरफ उसी की बात होती है,
कुछ रोज से भयानक हर रात होती है।
अकेले बाहर जाने से डर सा लगने लगा है,
हर कोई शैतान का सर सा लगने लगा है।
नन्हे बच्चों की बातों से खौफ झलकता है,
हर तरफ मासूमियत का खून छलकता है।
नन्ही नन्ही बच्चियां भी जानने लगी हैं,
आधा अधूरा सच पहचानने लगी हैं।
बाप, भाई, दादा के रिश्ते बेगाने हो गये हैं,
बच्चे बचपन से पहले सयाने हो गये हैं।
स्कूलों मे इसके चर्चे खुले आम हो गये हैं,
रेप जैसे घिनौने शब्द सरे आम हो गये हैं।
दिल्ली के दरिंदों को शायद फांसी भी हो जायेगी,
पर क्या यह सजा भी काफी हो जायेगी?
अभी भी हर रोज एक खबर आ ही जाती है,
कहीं कोई अनामिका या दामिनी रौंदी जाती है।
सिर्फ मोमबत्तियां जलाने से कम ना अंधेरा होगा,
जब जागेंगे सब, तब ही तो सवेरा होगा।
मोम तो यूँ भी पिघल ही जाता है, 
पर क्या दिल पिघल पायेंगे?
सियासतों के शोर में,
क्या हम सिसकियों को सुन पायेंगे? 

-मृदुल

टूटा गुडियाघर


गुड्डे गुडियों के संग खेलती नन्ही बच्चियाँ कब बडी हो जाती हैं पता ही नहीं चलता। हर घर में बेटी की खूबसूरत यादें, उसकी गुडियां अौर गुडियाघर सहेज कर रख दिये जाते हैं। पर हमारे ही आस पास कई जीती जागती गुडियां, टूट बिखर कर अौर अपमानित हो कर सिर्फ एक खबर बन कर रह जाती हैं, अौर हमें लगता है कि हमें फर्क ही नहीं पडता क्योंकि यह हमारी दुनिया में नहीं होता। फर्क तो तब पडेगा जब चारों अोर पीडित अौर शोषित बच्चियाँ चिल्लायेंगी…..अौर हमारे इर्द गिर्द मृत बालिका भ्रूण अौर टूटी गुडियों का अम्बार लग जायेगा अौर उनका टूटा गुडियाघर हमारी दुनिया का ही हिस्सा होगा।

अपनी सोच बदलिये, अपने मन में एक नारी के प्रति सम्मान अौर संवेदना रखिये, घर में भी अौर बाहर भी। क्योंकि अगर नारी इसी तरह अपमानित होती रही तो इस समाज से सम्मान शब्द ही खो जायेगा।

Broken Doll House

Doll house is quintessentially a part of every girl's growing years. Every girl has a doll or collection of dolls. Dolls that make her world so beautiful. Just as the little girls make our world so beautiful. Every daughter is like a doll and every house is a doll house, full of her laughter. 

But that laughter is stifled as atrocities on the girls and women are on the rise. Dead female fetuses, abandoned newborn baby girls, molested infants and school girls, scarred, bruised and raped minor girls……are like broken dolls. We can close our eyes and keep pretending that it does not happen in our world.

One day the loud cries from a big 'BROKEN DOLL HOUSE' that is all around us, will shatter our world. Unless….. We change. Change to protect and respect every girl, every woman.


https://www.facebook.com/BrokenDollHouse