Saturday, 9 February 2013

बहन

मैं एक भाई हूँ,
मेरी एक बहन है।
पर सड़क पर चलने वाली,
दूसरों की बहनें
मेरी बहनें नहीं...
मैं उनको छेड़ सकता हूँ,
मेरे दोस्त भी उन्हें छेड़ सकतें हैं,
कोई भी उन्हे छेड़ सकता है
मुझे इससे कोई फर्क नहीं पडता

मैं ऐसा ही सोचता था......
अौर शायद सोचता रहता
पर उस रात
मेरी बहन को
जो उनकी बहन नहीं थी
उन्होने नोच डाला
छेड़ा, सताया अौर खरोंच डाला,
तोड़ा, मरोड़ा, खिलवाड़ किया
फेंक सड़क के पार दिया
मुझ जैसे कई ऐसे
ठीक मेरी तरह सोचने वाले
उसको सड़क पर देख कर चले गये.....
कुछ को दया आई, कुछ को हया
पर हाथ बढा कर मदद करने की समझ न आई।
कोई क्यों समझता,
क्योंकि वह मेरी बहन थी,
मैं भी तो अभी समझा हूँ कि
किसी अौर ने उसे क्यों नहीं बचाया?

क्योंकि वह सिर्फ मेरी बहन थी।

-मृदुल

2 comments: