गुड्डे गुडियों के संग खेलती नन्ही बच्चियाँ कब बडी हो जाती हैं पता ही नहीं चलता। हर घर में बेटी की खूबसूरत यादें, उसकी गुडियां अौर गुडियाघर सहेज कर रख दिये जाते हैं। पर हमारे ही आस पास कई जीती जागती गुडियां, टूट बिखर कर अौर अपमानित हो कर सिर्फ एक खबर बन कर रह जाती हैं, अौर हमें लगता है कि हमें फर्क ही नहीं पडता क्योंकि यह हमारी दुनिया में नहीं होता। फर्क तो तब पडेगा जब चारों अोर पीडित अौर शोषित बच्चियाँ चिल्लायेंगी…..अौर हमारे इर्द गिर्द मृत बालिका भ्रूण अौर टूटी गुडियों का अम्बार लग जायेगा अौर उनका टूटा गुडियाघर हमारी दुनिया का ही हिस्सा होगा।
अपनी सोच बदलिये, अपने मन में एक नारी के प्रति सम्मान अौर संवेदना रखिये, घर में भी अौर बाहर भी। क्योंकि अगर नारी इसी तरह अपमानित होती रही तो इस समाज से सम्मान शब्द ही खो जायेगा।
अपनी सोच बदलिये, अपने मन में एक नारी के प्रति सम्मान अौर संवेदना रखिये, घर में भी अौर बाहर भी। क्योंकि अगर नारी इसी तरह अपमानित होती रही तो इस समाज से सम्मान शब्द ही खो जायेगा।
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